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चौदहवां समुल्लास खण्ड-11

१३१- और अल्लाह वह पुरुष है कि भेजता है हवाओं को बस उठाती हैं बादलों को, बस हांक लेते हैं तर्फ शहर मुर्दे की, बस जीवित किया हम ने साथ उस के पृथिवी को पीछे मृत्यु उस की के, इसी प्रकार कबरों में से निकालना है।। जिस ने उतारा बीच घर सदा रहने के दया अपनी से, नहीं लगती हम को बीच उस के मेहनत और नहीं लगती बीच उस के माँदगी।। -मं० ५। सि० २२। सू० ३५। आ० ९। ३५।।

(समीक्षक) वाह क्या फिलासफी खुदा की है। भेजता है वायु को, वह उठाता फिरता है बद्दलों को! और खुदा उस से मुर्दों को जिलाता फिरता है! यह बात ईश्वर सम्बन्धी कभी नहीं हो सकती, क्योंकि ईश्वर का काम निरन्तर एक सा होता रहता है। जो घर होंगे वे विना बनावट के नहीं हो सकते और जो बनावट का है वह सदा नहीं रह सकता। जिस के शरीर है वह परिश्रम के विना दुःखी होता और शरीर वाला रोगी हुए विना कभी नहीं बचता। जो एक स्त्री से समागम करता है वह विना रोग के नहीं बचता तो जो बहुत स्त्रियों से विषयभोग करता है उस की क्या ही दुर्दशा होती होगी? इसलिये मुसलमानों का रहना बहिश्त में भी सुखदायक सदा नहीं हो सकता।।१३१।।

१३२- कसम है कुरान दृढ़ की।। निश्चय तू भेजे हुओं से है।। ऊपर मार्ग सीधे के।। उतारा है गालिब दयावान् ने।। -मं० ५। सि० २३। सू० ३६। आ० २। ३। ४। ५।।

(समीक्षक) अब देखिये! यह कुरान खुदा का बनाया होता तो वह इस की सौगन्द क्यों खाता? यदि नबी खुदा का भेजा होता तो (लेपालक) बेटे की स्त्री पर मोहित क्यों होता? यह कथनमात्र है कि कुरान के मानने वाले सीधे मार्ग पर हैं। क्योंकि सीधा मार्ग वही होता है जिस में सत्य मानना, सत्य बोलना, सत्य करना, पक्षपात रहित न्याय धर्म्म का आचरण करना आदि हैं और इन से विपरीत का त्याग करना। सो न कुरान में न मुसलमानों में और न इन के खुदा में ऐसा स्वभाव है। यदि सब पर प्रबल पैगम्बर मुहम्मद साहेब होते तो सब से अधिक विद्यावान् और शुभगुणयुक्त क्यों न होते? इसलिये जैसे कूंजड़ी अपने बेरों को खट्टा नहीं बतलाती वैसी यह बात भी है।।१३२।।

१३३- और फूंका जावेगा बीच सूर के बस नागहां व कबरों में से तर्फ मालिक अपने की दौडे़गें ।। और गवाही देंगे पांव उन के साथ उस वस्तु के थे कमाते।। सिवाय इसके नहीं कि आज्ञा उस की जब चाहे उत्पन्न करना किसी वस्तु को यह कि कहता वास्ते उस के कि ‘हो जा’, बस हो जाता है।। -मं० ५। सि० २३। सू० ३६। आ० ५१। ६६। ८२।।

(समीक्षक) अब सुनिये ऊटपटांग बातें! पग कभी गवाही दे सकते हैं? खुदा के सिवाय उस समय कौन था जिस को आज्ञा दी? किस ने सुनी? और कौन बन गया? यदि न थी तो यह बात झूठी और जो थी तो वह बात-जो सिवाय खुदा के कुछ चीज नहीं थी और खुदा ने सब कुछ बना दिया-वह झूठी।।१३३।।

१३४- फिराया जावेगा उनके ऊपर पियाला शराब शुद्ध का।। सफेद मजा देने वाली वास्ते पीने वालों के।। समीप उन के बैठी होंगी नीचे आंख रखने वालियाँ, सुन्दर आंखों वालियां।। मानो कि वे अण्डे हैं छिपाये हुए।। क्या बस हम नहीं मरेंगे।। और अवश्य लूत निश्चय पैगम्बरों से था।। जब कि मुक्ति दी हम ने उस को और लोगों उस के को सब को।। परन्तु एक बुढ़िया पीछे रहने वालों में है।। फिर मारा हम ने औरों को।। -मं० ६। सि० २३। सू० ३७। आ० ४५। ४६। ४८। ४९। ५६। १२७। १२८। १२९।।

(समीक्षक) क्यों जी! यहां तो मुसलमान लोग शराब को बुरा बतलाते हैं परन्तु इन के स्वर्ग में तो नदियां की नदियां बहती हैं। इतना अच्छा है कि यहां तो किसी प्रकार मद्य पीना छुड़ाया परन्तु यहां के बदले वहाँ उन के स्वर्ग में बड़ी खराबी है! मारे स्त्रियों के वहाँ किसी का चित्त स्थिर नहीं रहता होगा! और बड़े-बड़े रोग भी होते होंगे! यदि शरीर वाले होंगे तो अवश्य मरेंगे और जो शरीर वाले न होंगे तो भोग विलास ही न कर सकेंगे। फिर उन के स्वर्ग में जाना व्यर्थ है। यदि लूत को पैगम्बर मानते हो तो जो बाइबल में लिखा है कि उस से उस की लड़कियों ने समागम करके दो लड़के पैदा किये इस बात को भी मानते हो वा नहीं? जो मानते हो तो ऐसे को पैगम्बर मानना व्यर्थ है। और जो ऐसे और ऐसे के सिंगयों को खुदा मुक्ति देता है तो वह खुदा भी वैसा ही है। क्योंकि बुढ़िया की कहानी कहने वाला और पक्षपात से दूसरों को मारने वाला खुदा कभी नहीं हो सकता। ऐसा खुदा मुसलमानों ही के घर में रह सकता है; अन्यत्र नहीं।।१३४।।

१३५- बहिश्तें हैं सदा रहने की खुले हुए हैं दर उन के वास्ते उन के।। तकिये किये हुए बीच उन के मंगावेंगे बीच इस के मेवे और पीने की वस्तु।। और समीप होंगी उनके, नीचे रखने वालियां दृष्टि और दूसरों से समायु।। बस सिजदा किया फरिश्तों ने सब ने।। परन्तु शैतान ने न माना अभिमान किया और था काफिरों से।। ऐ शैतान किस वस्तु ने रोका तुझ को यह कि सिजदा करे वास्ते उस वस्तु के कि बनाया मैंने साथ दोनों हाथ अपने के, क्या अभिमान किया तूने वा था तू बड़े अधिकार वालों से ।। कहा कि मैं अच्छा हूँ उस वस्तु से, उत्पन्न किया तूने मुझ को आग से, उस को मट्टी से।। कहा बस निकल इन आसमानों में से, बस निश्चय तू चलाया गया है।। निश्चय ऊपर तेरे लानत है मेरी दिन जजा तक।। कहा ऐ मालिक मेरे, ढील दे उस दिन तक कि उठाये जावेंगे मुर्दे।। कहा कि बस निश्चय तू ढील दिये गयों से है ।। उस दिन समय ज्ञात तक।। कहा कि बस कसम है प्रतिष्ठा तेरी की, अवश्य गुमराह करूंगा उन को मैं इकट्ठे।। -मं० ६। सि० २३। सू० ३८। आ० ४९। ५०। ५१। ५२। ७०। ७१। ७३। ७५। ७६। ७८। ८०। ८१।।

(समीक्षक) यदि वहाँ जैसे कि कुरान में बाग बगीचे नहरें मकानादि लिखे हैं वैसे हैं तो वे न सदा से थे न सदा रह सकते हैं। क्योंकि जो संयोग से पदार्थ होता है वह संयोग के पूर्व न था, अवश्यभावी वियोग के अन्त में न रहेगा। जब वह बहिश्त ही न रहेगा तो उस में रहने वाले सदा क्योंकर रह सकते हैं ? क्योंकि लिखा है कि गद्दी, तकिये, मेवे और पीने के पदार्थ वहाँ मिलेंगे। इससे यह सिद्ध होता है कि जिस समय मुसलमानों का मजहब चला उस समय अर्ब देश विशेष धनाढ्य न था। इसीलिये मुहम्मद साहेब ने तकिये आदि की कथा सुना कर गरीबों को अपने मत में फंसा लिया। और जहाँ स्त्रियां हैं। वहाँ निरन्तर सुख कहां? वे स्त्रियां वहाँ कहां से आई हैं? अथवा बहिश्त की रहने वाली हैं? यदि आई हैं तो जावेंगी और जो वहीं की रहने वाली हैं तो कयामत के पूर्व क्या करती थीं? क्या निकम्मी अपनी उमर को बहा रही थीं? अब देखिये खुदा का तेज कि जिस का हुक्म अन्य सब फरिश्तों ने माना और आदम साहेब को नमस्कार किया और शैतान ने न माना! खुदा ने शैतान से पूछा कहा कि मैंने उस को अपने दोनों हाथों से बनाया, तू अभिमान मत कर। इस से सिद्ध होता है कि कुरान का खुदा दो हाथ वाला मनुष्य था। इसलिए वह व्यापक वा सर्वशक्तिमान् कभी नहीं हो सकता। और शैतान ने सत्य कहा कि मैं आदम से उत्तम हूँ, इस पर खुदा ने गुस्सा क्यों किया? क्या आसमान ही में खुदा का घर है; पृथिवी में नहीं? तो काबे को खुदा का घर प्रथम क्यों लिखा? भला! परमेश्वर अपने में से वा सृष्टि में से अलग कैसे निकाल सकता है? और वह सृष्टि सब परमेश्वर की है। इस से स्पष्ट विदित हुआ कि कुरान का खुदा बहिश्त का जिम्मेदार था। खुदा ने उस को लानत धिक्कार दिया और कैद कर लिया और शैतान ने कहा कि हे मालिक! मुझ को कयामत तक छोड़ दे। खुदा ने खुशामद से कयामत के दिन तक छोड़ दिया। जब शैतान छूटा तो खुदा से कहता है कि अब मैं खूब बहकाऊंगा और गदर मचाऊंगा। तब खुदा ने कहा कि जितनों को तू बहकावेगा मैं उन को दोजख में डाल दूंगा और तुझ को भी। अब सज्जन लोगो विचारिये! कि शैतान को बहकाने वाला खुदा है वा आप से वह बहका? यदि खुदा ने बहकाया तो वह शैतान का शैतान ठहरा। यदि शैतान स्वयं बहका तो अन्य जीव भी स्वयं बहकेंगे; शैतान की जरूरत नहीं। और जिस से इस शैतान बागी को खुदा ने खुला छोड़ दिया, इस से विदित हुआ कि वह भी शैतान का शरीक अधर्म कराने में हुआ। यदि स्वयं चोरी करा के दण्ड देवे तो उस के अन्याय का कुछ भी पारावार नहीं।।१३५।।

१३६- अल्लाह क्षमा करता है पाप सारे, निश्चय वह है क्षमा करने वाला दयालु।। और पृथिवी सारी मूठी में है उस की दिन कयामत के और आसमान लपेटे हुए हैं बीच दाहिने हाथ उसके के।। और चमक जावेगी पृथिवी साथ प्रकाश मालिक अपने के और रक्खे जावेंगे कर्मपत्र और लाया जावेगा पैगम्बरों को और गवाहों को और फैसला किया जावेगा।। -मं० ६। सि० २४। सू० ३९। आ० ५३। ६७। ६९।।

(समीक्षक) यदि समग्र पापों को खुदा क्षमा करता है तो जानो सब संसार को पापी बनाता है और दयाहीन है क्योंकि एक दुष्ट पर दया और क्षमा करने से वह अधिक दुष्टता करेगा और अन्य बहुत धर्मात्माओं को दुःख पहुँचावेगा। यदि किञ्चित् भी अपराध क्षमा किया जावे तो अपराध ही अपराध जगत् में छा जावे। क्या परमेश्वर अग्निवत् प्रकाश वाला है? और कर्मपत्र कहां जमा रहते हैं? और कौन लिखता है? यदि पैगम्बरों और गवाहों के भरोसे खुदा न्याय करता है तो वह असर्वज्ञ और असमर्थ है । यदि वह अन्याय नहीं करता न्याय ही करता है तो कर्मों के अनुसार करता होगा। वे कर्म पूर्वापर वर्त्तमान जन्मों के हो सकते हैं तो फिर क्षमा करना, दिलों पर ताला लगाना और शिक्षा न करना, शैतान से बहकवाना, दौरा सुपुर्द रखना केवल अन्याय है।।१३६।।

१३७- उतारना किताब का अल्लाह गालिब जानने वाले की ओर से है।। क्षमा करने वाला पापों का और स्वीकार करने वाला तोबाः का।। -मं० ६। सि० २४। सू० ४०। आ० १। २। ३।।

(समीक्षक) यह बात इसलिये है कि भोले लोग अल्लाह के नाम से इस पुस्तक को मान लेवें कि जिस में थोड़ा सा सत्य छोड़ असत्य भरा है और वह सत्य भी असत्य के साथ मिलकर बिगड़ा सा है। इसीलिये कुरान और कुरान का खुदा और इस को मानने वाले पाप बढ़ाने हारे और पाप करने कराने वाले हैं। क्योंकि पाप का क्षमा करना अत्यन्त अधर्म है। किन्तु इसी से मुसलमान लोग पाप और उपद्रव करने में कम डरते हैं।।१३७।।

१३८- बस नियत किया उस को सात आसमान बीच दो दिन के, और डाल दिया बीच हम ने उस के काम उस का।। यहां तक कि जब जावेंगे उस के पास साक्षी देंगे ऊपर उन के कान उन के और आंखें उन की और चमड़े उन के कर्म से।। और कहेंगे वास्ते चमड़े अपने के क्यों साक्षी दी तू ने ऊपर हमारे, कहेंगे कि बुलाया है हम को अल्लाह ने जिस ने बुलाया हर वस्तु को।। अवश्य जिलाने वाला है मुर्दों को।। -मं० ६। सि० २४। सू० ४१। आ० १२। २०। २१। ३९।।

(समीक्षक) वाह जी वाह मुसलमानो ! तुम्हारा खुदा जिस को तुम सर्वशक्तिमान् मानते हो वह सात आसमानों को दो दिन में बना सका? और जो सर्वशक्तिमान् है वह क्षणमात्र में सब को बना सकता है। भला कान, आंख और चमड़े को ईश्वर ने जड़ बनाया है वे साक्षी कैसे दे सकेंगे? यदि साक्षी दिलावे तो उस ने प्रथम जड़ क्यों बनाये? और अपना पूर्वापर काम नियमविरुद्ध क्यों किया? एक इस से भी बढ़ कर मिथ्या बात यह कि जब जीवों पर साक्षी दी तब वे जीव अपने-अपने चमड़े से पूछने लगे कि तूने हमारे पर साक्षी क्यों दी? चमड़ा बोलेगा खुदा ने दिलायी मैं क्या करूं! भला यह बात कभी हो सकती है? जैसे कोई कहे कि बन्ध्या के पुत्र का मुख मैंने देखा, यदि पुत्र है तो बन्ध्या क्यों? जो बन्ध्या है तो उस के पुत्र ही होना असम्भव है। इसी प्रकार की यह भी मिथ्या बात है। यदि वह मुर्दों को जिलाता है तो प्रथम मारा ही क्यों? क्या आप भी मुर्दा हो सकता है वा नहीं? यदि नहीं हो सकता तो मुर्देपन को बुरा क्यों समझता है? और कयामत की रात तक मृतक जीव किस मुसलमान के घर में रहेंगे? और दौरासुपुर्द खुदा ने विना अपराध क्यों रक्खा? शीघ्र न्याय क्यों न किया? ऐसी-ऐसी बातों से ईश्वरता में बट्टा लगता है।।१३८।।

१३९- वास्ते उस के कुंजियां हैं आसमानों की और पृथिवी की, खोलता है भोजन जिस के वास्ते चाहता है और तंग करता है।। उत्पन्न करता है जो कुछ चाहता है और देता है जिस को चाहे बेटियां और देता है जिस को चाहे बेटे।। वा मिला देता है उन को बेटे और बेटियाँ और कर देता है जिस को चाहे बाँझ।। और नहीं है शक्ति किसी आदमी को कि बात करे उस से अल्लाह परन्तु जी में डालने कर वा पीछे परदे१ के से वा भेजे फरिश्ते पैगाम लाने वाला।। -मं० ६। सि० २५। सू० ४२। आ० १०। १२।४७। ४८। ४९।।

(समीक्षक) खुदा के पास कुञ्जियों का भण्डार भरा होगा। क्योंकि सब ठिकाने के ताले खोलने होते होंगे! यह लड़कपन की बात है। क्या जिस को चाहता है उस को विना पुण्य कर्म के ऐश्वर्य देता है? और विना पाप के तंग करता है? यदि ऐसा है तो वह बड़ा अन्यायकारी है। अब देखिये कुरान बनाने वाले की चतुराई! कि जिस से स्त्रीजन भी मोहित हो के फसें। यदि जो कुछ चाहता है उत्पन्न करता है तो दूसरे खुदा को भी उत्पन्न कर सकता है वा नहीं? यदि नहीं कर सकता तो सर्वशक्तिमत्ता यहां पर अटक गई। भला मनुष्यों को तो जिस को चाहे बेटे बेटियां खुदा देता है परन्तु मुरगे, मच्छी, सूअर आदि जिन के बहुत बेटा बेटियां होती हैं कौन देता है? और स्त्री पुरुष के समागम विना क्यों नहीं देता? किसी को अपनी इच्छा से बांझ रख के दुःख क्यों देता है? वाह! क्या खुदा तेजस्वी है कि उस के सामने कोई बात ही नहीं कर सकता! परन्तु उसने पहले कहा है कि पर्दा डाल के बात कर सकता है वा फरिश्ते लोग खुदा से बात करते हैं अथवा पैगम्बर। जो ऐसी बात है तो फरिश्ते और पैगम्बर खूब अपना मतलब करते होंगे! यदि कोई कहे खुदा सर्वज्ञ सर्वव्यापक है तो परदे से बात करना अथवा डाक के तुल्य खबर मंगा के जानना लिखना व्यर्थ है। और जो ऐसा ही है तो वह खुदा ही नहीं किन्तु कोई चालाक मनुष्य होगा। इसलिये यह कुरान ईश्वरकृत कभी नहीं हो सकता।।१३९।।

१४०- और जब आया ईसा साथ प्रमाण प्रत्यक्ष के।। -मं० ६। सि० २५। सू० ४३। आ० ६३।।

(समीक्षक) यदि ईसा भी भेजा हुआ खुदा का है तो उस के उपदेश से विरुद्ध कुरान खुदा ने क्यों बनाया? और कुरान से विरुद्ध इञ्जील क्यों की? इसीलिये ये किताबें ईश्वरकृत नहीं हैं।।१४०।।

१४१- पकड़ो उस को बस घसीटो उस को बीचों बीच दोजख के।। इसी प्रकार रहेंगे और व्याह देंगे उन को साथ गोरियों अच्छी आंखों वालियों के।। -मं० ६। सि० २५। सू० ४४। आ० ४७। ५४।।

(समीक्षक) वाह! क्या खुदा न्यायकारी होकर प्राणियों को पकड़ाता और घसीटवाता है? जब मुसलमानों का खुदा ही ऐसा है तो उस के उपासक मुसलमान अनाथ निर्बलों को पकड़ें घसीटें तो इस में क्या आश्चर्य है? और वह संसारी मनुष्यों के समान विवाह भी कराता है, जानो कि मुसलमानों का पुरोहित ही है।।१४१।।

१- इस आयत के भाष्य ‘तफसीरहुसैनी’ में लिखा है कि मुहम्मद साहेब दो परदों में थे और खुदा की आवाज सुनी। एक पर्दा जरी का था दूसरा श्वेत मोतियों का और दोनों परदों के बीच में सत्तर वर्ष चलने योग्य मार्ग था ? बुद्धिमान् लोग इस बात को विचारें कि यह खुदा है वा परदे की ओट बात करने वाली स्त्री ? इन लोगों ने तो ईश्वर ही की दुर्दशा कर डाली। कहां वेद तथा उपनिषदादि सद्ग्रन्थों में प्रतिपदित शुद्ध परमात्मा और कहां कुरानोक्त परदे की ओट से बात करने वाला खुदा! सच तो यह है कि अरब के अविद्वान् लोग थे, उत्तम बात लाते किस के घर से।

१४२- बस जब तुम मिलो उन लोगों से कि काफिर हुए बस मारो गर्दनें उन की यहां तक कि जब चूर कर दो उन को बस दृढ़ करो कैद करना।। और बहुत बस्तियां हैं कि वे बहुत कठिन थीं शक्ति में बस्ती तेरी से, जिस ने निकाल दिया तुझ को मारा हम ने उन को, बस न कोई हुआ सहाय देने वाला उन का।। तारीफ उस बहिश्त की कि प्रतिज्ञा किये गये हैं परहेजगार, बीच उस के नहरें हैं बिन बिगड़े पानी की, और नहरें हैं दूध की कि नहीं बदला मजा उन का, और नहरें हैं शराब की मजा देने वाली वास्ते पीने वालों के और नहरें हैं शहद साफ किये गये की और वास्ते उन के बीच उस के मेवे हैं प्रत्येक प्रकार से दान मालिक उन के से।। -मं० ६। सि० २६। सू० ४७। आ० ४। १३। १५।।

(समीक्षक) इसी से यह कुरान खुदा और मुसलमान गदर मचाने, सब को दुःख देने और अपना मतलब साधने वाले दयाहीन हैं। जैसा यहां लिखा है वैसा ही दूसरा कोई दूसरे मत वाला मुसलमानों पर करे तो मुसलमानों को वैसा ही दुःख जैसा कि अन्य को देते हैं हो वा नहीं? और खुदा बड़ा पक्षपाती है कि जिन्होंने मुहम्मद साहेब को निकाल दिया उनको खुदा ने मारा। भला! जिसमें शुद्ध पानी, दूध, मद्य और शहद की नहरें हैं वह संसार से अधिक हो सकता है? और दूध की नहरें कभी हो सकती हैं? क्योंकि वह थोड़े समय में बिगड़ जाता है! इसीलिये बुद्धिमान् लोग कुरान के मत को नहीं मानते।।१४२।।

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This is why the Quran is inscribed and the Muslims are merciless to make mutiny, give sorrow to all and carry out their meaning. If someone else does the same opinion on Muslims as it is written here, do they give the same grief to Muslims as they do to others or not? Okey! Which canals of pure water, milk, alcohol and honey can exceed the world? And can milk canals ever happen? Because it worsens in a short time! That is why intelligent people do not follow the Quran.

 

 

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