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चौदहवां समुल्लास खण्ड-12

१४३- जब कि हिलाई जावेगी पृथिवी हिलाये जाने कर।। और उड़ाये जावेंगे पहाड़ उड़ाये जाने कर।। बस हो जावेंगे भुनगे टुकड़े-टुकड़े।। बस साहब दाहनी ओर वाले क्या हैं साहब दाहनी ओर के।। और बाईं ओर वाले क्या हैं बाईं ओर के।। ऊपर पलंग सोने के तारों से बुने हुए हैं।। तकिये किये हुए हैं ऊपर उनके आमने-सामने।। और फिरेंगे ऊपर उनके लड़के सदा रहने वाले।। साथ आबखोरों के और आफताबों के और प्यालों के शराब साफ से ।। नहीं माथा दुखाये जावेंगे उस से और न विरुद्ध बोलेंगे।। और मेवे उस किस्म से कि पसन्द करें।। और गोश्त जानवर पक्षियों के उस किस्म से कि पसन्द करें।। और वास्ते उन के औरतें हैं अच्छी आंखों वाली।। मानिन्द मोतियों छिपाये हुओं की।। और बिछौने बड़े।। निश्चय हम ने उत्पन्न किया है औरतों को एक प्रकार का उत्पन्न करना है।। बस किया है हम ने उन को कुमारी।। सुहागवालियां बराबर अवस्था वालियां।। बस भरने वाले हो उस से पेटों को।। बस कसम खाता हूँ मैं साथ गिरने तारों के।। -मं० ७। सि० २७। सू० ५६। आ० ४। ५। ६। ८। ९। १५। १६। १७। १८। १९। २०। २१। २२। २३। ३३। ३४। ३५। ३६। ३७। ३८। ५३।।

(समीक्षक) अब देखिये कुरान बनाने वाले की लीला को! भला पृथिवी तो हिलती ही रहती है उस समय भी हिलती रहेगी। इस से यह सिद्ध होता है कि कुरान बनाने वाला पृथिवी को स्थिर जानता था! भला पहाड़ों को क्या पक्षीवत् उड़ा देगा? यदि भुनगे हो जावेंगे तो भी सूक्ष्म शरीरधारी रहेंगे तो फिर उन का दूसरा जन्म क्यों नहीं? वाह जी ! जो खुदा शरीरधारी न होता तो उस के दाहिनी ओर और बाईं ओर कैसे खड़े हो सकते? जब वहाँ पलंग सोने के तारों से बुने हुए हैं तो बढ़ई सुनार भी वहाँ रहते होंगे और खटमल काटते होंगे जो उन को रात्रि में सोने भी नहीं देते होंगे। क्या वे तकिये लगाकर निकम्मे बहिश्त में बैठे ही रहते हैं वा कुछ काम किया करते हैं? यदि बैठे ही रहते होंगे तो उन को अन्न पचन न होने से वे रोगी होकर शीघ्र मर भी जाते होंगे? और जो काम किया करते होंगे तो जैसे मेहनत मजदूरी यहां करते हैं वैसे ही वहाँ परिश्रम करके निर्वाह करते होंगे फिर यहां से वहाँ बहिश्त में विशेष क्या है? कुछ भी नहीं। यदि वहाँ लड़के सदा रहते हैं तो उन के माँ बाप भी रहते होंगे और सासू श्वसुर भी रहते होंगे तब तो बड़ा भारी शहर बसता होगा फिर मल मूत्रदि के बढ़ने से रोग भी बहुत से होते होंगे क्योंकि जब मेवे खावेंगे, गिलासों में पानी पीवेंगे और प्यालों से मद्य पीवेंगे न उन का सिर दूखेगा और न कोई विरुद्ध बोलेगा यथेष्ट मेवा खावेंगे और जानवरों तथा पक्षियों के मांस भी खावेंगे तो अनेक प्रकार के दुःख, पक्षी, जानवर वहाँ होंगे, हत्या होगी और हाड़ जहाँ तहां बिखरे रहेंगे और कसाइयों की दुकानें भी होंगी। वाह क्या कहना इनके बहिश्त की प्रशंसा कि वह अरब देश से भी बढ़ कर दीखती है!!! और जो मद्य मांस पी खा के उन्मत्त होते हैं इसी लिये अच्छी-अच्छी स्त्रियां और लौंडे भी वहाँ अवश्य रहने चाहिये नहीं तो ऐसे नशेबाजों के शिर में गरमी चढ़ के प्रमत्त हो जावें। अवश्य बहुत स्त्री पुरुषों के बैठने सोने के लिये बिछौने बड़े-बड़े चाहिये। जब खुदा कुमारियों को बहिश्त में उत्पन्न करता है तभी तो कुमारे लड़कों को भी उत्पन्न करता है। भला! कुमारियों का तो विवाह जो यहां से उम्मीदवार हो कर गये हैं उन के साथ खुदा ने लिखा पर उन सदा रहने वाले लड़कों का भी किन्हीं कुमारियों के साथ विवाह न लिखा तो क्या वे भी उन्हीं उम्मीदवारों के साथ कुमारीवत् दे दिये जावेंगे? इस की व्यवस्था कुछ भी न लिखी। यह खुदा में बड़ी भूल क्यों हुई? यदि बराबर अवस्था वाली सुहागिन स्त्रियाँ पतियों को पा के बहिश्त में रहती हैं तो ठीक नहीं हुआ क्योंकि स्त्रियों से पुरुष का आयु दूना ढाई गुना चाहिये, यह तो मुसलमानों के बहिश्त की कथा है। और नरक वाले सिहोड़ अर्थात् थोर के वृक्षों को खा के पेट भरेंगे तो कण्टक वृक्ष भी दोजख में होंगे तो कांटे भी लगते होंगे और गर्म पानी पीयेंगे इत्यादि दुःख दोजख में पावेंगे।। कसम का खाना प्रायः झूठों का काम है; सच्चों का नहीं। यदि खुदा ही कसम खाता है तो वह भी झूठ से अलग नहीं हो सकता।।१४३।।

१४४- निश्चय अल्लाह मित्र रखता है उन लोगों को कि लड़ते हैं बीच मार्ग उसके के।। -मं० ७। सि० २८। सू० ६१। आ० ४।।

(समीक्षक) वाह ठीक है! ऐसी-ऐसी बातों का उपदेश करके विचारे अर्ब देशवासियों को सब से लड़ा के शत्रु बनाकर परस्पर दुःख दिलाया और मजहब का झण्डा खड़ा करके लड़ाई फैलावे ऐसे को कोई बुद्धिमान् ईश्वर कभी नहीं मान सकते।। जो मनुष्य जाति में विरोध बढ़ावे वही सब को दुःखदाता होता है।।१४४।।

१४५- ऐ नबी क्यों हराम करता है उस वस्तु को कि हलाल किया है खुदा ने तेरे लिये, चाहता है तू प्रसन्नता बीबियों अपनी की, और अल्लाह क्षमा करने वाला दयालु है।। जल्दी है मालिक उस का जो वह तुम को छोड़ दे तो यह है कि उस को तुम से अच्छी मुसलमान और ईमान वालियां बीबियां बदल दे सेवा करने वालियां तोबाः करने वालियां भक्ति करने वालियां रोजा रखने वालियां पुरुष देखी हुईं और बिन देखी हुईं।। -मं० ७। सि० २८। सू० ६६। आ० १। ५।।

(समीक्षक) ध्यान देकर देखना चाहिये कि खुदा क्या हुआ मुहम्मद साहेब के घर का भीतरी और बाहरी प्रबन्ध करने वाला भृत्य ठहरा !! प्रथम आयत पर दो कहानियां हैं एक तो यह कि मुहम्मद साहेब को शहद का शर्बत प्रिय था। उन की कई बीबियां थीं उन में से एक के घर पीने में देर लगी तो दूसरियों को असह्य प्रतीत हुआ उन के कहने सुनने के पीछे मुहम्मद साहेब सौगन्ध खा गये कि हम न पीवेंगे। दूसरी यह कि उनकी कई बीबियों में से एक की बारी थी। उसके यहां रात्री को गये तो वह न थी; अपने बाप के यहां गई थी। मुहम्मद साहेब ने एक लौंडी अर्थात् दासी को बुला कर पवित्र किया। जब बीबी को इस की खबर मिली तो अप्रसन्न हो गई। तब मुहम्मद साहेब ने सौगन्ध खाई कि मैं ऐसा न करूँगा। और बीबी से भी कह दिया तुम किसी से यह बात मत कहना। बीबी ने स्वीकार किया कि न कहूँगी। फिर उन्होंने दूसरी बीबी से जा कहा। इस पर यह आयत खुदा ने उतारी ‘जिस वस्तु को हम ने तेरे पर हलाल किया उस को तू हराम क्यों करता है? ’ बुद्धिमान् लोग विचारें कि भला कहीं खुदा भी किसी के घर का निमटेरा करता फिरता है? और मुहम्मद साहेब के तो आचरण इन बातों से प्रकट ही हैं क्योंकि जो अनेक स्त्रियों को रक्खे वह ईश्वर का भक्त वा पैगम्बर कैसे हो सके? और जो एक स्त्री का पक्षपात से अपमान करे और दूसरी का मान्य करे वह पक्षपाती होकर अधर्मी क्यों नहीं और जो बहुत सी स्त्रियों से भी सन्तुष्ट न होकर बाँदियों के साथ फंसे उस की लज्जा, भय और धर्म कहां से रहे? किसी ने कहा है कि- ‘कामातुराणां न भयं न लज्जा’।।

जो कामी मनुष्य हैं उन को अधर्म से भय वा लज्जा नहीं होती। और इन का खुदा भी मुहम्मद साहेब की स्त्रियों और पैगम्बर के झगड़े का फैसला करने में जानो सरपंच बना है। अब बुद्धिमान् लोग विचार लें कि यह कुरान विद्वान् वा ईश्वरकृत है वा किसी अविद्वान् मतलबसिन्धु का बनाया? स्पष्ट विदित हो जाएगा और दूसरी आयत से प्रतीत होता है कि मुहम्मद साहेब से उन की कोई बीबी अप्रसन्न हो गई होगी, उस पर खुदा ने यह आयत उतार कर उस को धमकाया होगा कि यदि तू गड़बड़ करेगी और मुहम्मद साहेब तुझे छोड़ देंगे तो उन को उन का खुदा तुझ से अच्छी बीबियां देगा कि जो पुरुष से न मिली हों। जिस मनुष्य को तनिक सी बुद्धि है वह विचार ले सकता है कि ये खुदा वुदा के काम हैं वा अपना प्रयोजन सिद्धि के! ऐसी-ऐसी बातों से ठीक सिद्ध है कि खुदा कोई नहीं कहता था केवल देशकाल देखकर अपने प्रयोजन सिद्ध होने के लिए खुदा की तर्फ से मुहम्मद साहेब कह देते थे। जो लोग खुदा ही की तर्फ लगाते हैं उन को हम सब क्या, सब बुद्धिमान् यही कहेंगे कि खुदा क्या ठहरा मानो मुहम्मद साहेब के लिये बीबियां लाने वाला नाई ठहरा!!! ।।१४५।।

१४६- ऐ नबी झगड़ा कर काफिरों और गुप्त शत्रुओं से और सख्ती कर ऊपर उन के।। -मं० ७। सि० २८। सू० ६६। आ० ९।।

(समीक्षक) देखिये मुसलमानों के खुदा की लीला! अन्य मत वालों से लड़ने के लिये पैगम्बर और मुसलमानों को उचकाता है इसीलिये मुसलमान लोग उपद्रव करने में प्रवृत्त रहते हैं। परमात्मा मुसलमानों पर कृपादृष्टि करे जिस से ये लोग उपद्रव करना छोड़ के सब से मित्रता से वर्त्तें।।१४६।।

१४७- फट जावेगा आसमान, बस वह उस दिन सुस्त होगा।। और फरिश्ते होंगे ऊपर किनारों उस के के; और उठावेंगे तख्त मालिक तेरे का ऊपर अपने उस दिन आठ जन।। उस दिन सामने लाये जाओगे तुम, न छिपी रहेगी कोई बात छिपी हुई ।। बस जो कोई दिया गया कर्मपत्र अपना बीच दाहिने हाथ अपने के, बस कहेगा लो पढ़ो कर्मपत्र मेरा।। और जो कोई दिया गया कर्मपत्र बीच बांये हाथ अपने के, बस कहेगा हाथ न दिया गया होता मैं कर्मपत्र अपना।। -मं० ७। सि० २९। सू० ६९। आ० १६। १७। १८। १९। २५।।

(समीक्षक) वाह क्या फिलासफी और न्याय की बात है! भला आकाश भी कभी फट सकता है? क्या वह वस्त्र के समान है जो फट जावे? यदि ऊपर के लोक को आसमान कहते हैं तो यह बात विद्या से विरुद्ध है। अब कुरान का खुदा शरीरधारी होने में कुछ संदिग्ध न रहा । क्योंकि तख्त पर बैठना, आठ कहारों से उठवाना विना मूर्तिमान् के कुछ भी नहीं हो सकता? और सामने वा पीछे भी आना-जाना मूर्तिमान् ही का हो सकता है। जब वह मूर्तिमान् है तो एकदेशी होने से सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान् नहीं हो सकता और सब जीवों के सब कर्मों को कभी नहीं जान सकता। यह बडे़ आश्चर्य की बात है कि पुण्यात्माओं के दाहिने हाथ में पत्र देना, बचवाना, बहिश्त में भेजना और पापात्माओं के बायें हाथ में कर्मपत्र का देना, नरक में भेजना, कर्मपत्र बांच के न्याय करना! भला यह व्यवहार सर्वज्ञ का हो सकता है? कदापि नहीं। यह सब लीला लड़केपन की है।।१४७।।

१४८- चढ़ते हैं फरिश्ते और रूह तर्फ उस की वह अजाब होगा बीच उस दिन के कि है परिमाण उस का पचास हजार वर्ष।। जब कि निकलेंगे कबरों में से दौड़ते हुए मानो कि वह बुतों के स्थानों की ओर दौड़ते हैं। -मं० ७। सि० २९। सू० ७०। आ० ४। ४३।।

(समीक्षक) यदि पचास हजार वर्ष दिन का परिमाण है तो पचास हजार वर्ष की रात्रि क्यों नहीं? यदि उतनी बड़ी रात्रि नहीं है तो उतना बड़ा दिन कभी नहीं हो सकता। क्या पचास हजार वर्षों तक खुदा फरिश्ते और कर्मपत्र वाले खड़े वा बैठे अथवा जागते ही रहेंगे? यदि ऐसा है तो सब रोगी हो कर पुनः मर ही जायेंगे। क्या कबरों से निकल कर खुदा की कचहरी की ओर दौड़ेंगे? उन के पास सम्मन कबरों में क्योंकर पहुँचेंगे? और उन बिचारों को जो कि पुण्यात्मा वा पापात्मा हैं। इतने समय तक सभी को कबरों में दौरेसुपुर्द कैद क्यों रक्खा? और आजकल खुदा की कचहरी बन्ध होगी और खुदा तथा फरिश्ते निकम्मे बैठे होंगे? अथवा क्या काम करते होंगे। अपने-अपने स्थानों में बैठे इधर-उधर घूमते, सोते, नाच तमाशा देखते व ऐश आराम करते होंगे । ऐसा अन्धेर किसी के राज्य में न होगा। ऐसी-ऐसी बातों को सिवाय जंगलियों के दूसरा कौन मानेगा? ।।१४८।।

१४९- निश्चय उत्पन्न किया तुम को कई प्रकार से।। क्या नहीं देखा तुम ने कैसे उत्पन्न किया अल्लाह ने सात आसमानों को ऊपर तले।। और किया चांद को बीच उन के प्रकाशक और किया सूर्य को दीपक।। -मं० ७। सि० २९। सू० ७१। आ० १४। १५। १६।।

(समीक्षक) यदि जीवों को खुदा ने उत्पन्न किया है तो वे नित्य अमर कभी नहीं रह सकते? फिर बहिश्त में सदा क्योंकर रह सकेंगे? जो उत्पन्न होता है वह वस्तु अवश्य नष्ट हो जाता है। आसमान को ऊपर तले कैसे बना सकता है? क्योंकि वह निराकार और विभु पदार्थ है। यदि दूसरी चीज का नाम आकाश रखते हो तो भी उस का आकाश नाम रखना व्यर्थ है। यदि ऊपर तले आसमानों को बनाया है तो उन सब के बीच में चांद सूर्य्य कभी नहीं रह सकते। जो बीच में रक्खा जाय तो एक ऊपर और एक नीचे का पदार्थ प्रकाशित हो दूसरे से लेकर सब में अन्धकार रहना चाहिये। ऐसा नहीं दीखता, इस लिये यह बात सर्वथा मिथ्या है।।१४९।।

१५०- यह कि मसजिदें वास्ते अल्लाह के हैं, बस मत पुकारो साथ अल्लाह के किसी को।। -मं० ७। सि० २९। सू० ७२। आ० १८।।

(समीक्षक) यदि यह बात सत्य है तो मुसलमान लोग ‘लाइलाह इल्लिलाः मुहम्मदर्रसूलल्लाः’ इस कलमे में खुदा के साथ मुहम्मद साहेब को क्यों पुकारते हैं? यह बात कुरान से विरुद्ध है और जो विरुद्ध नहीं करते तो इस कुरान की बात को झूठ करते हैं। जब मसजिदें खुदा के घर हैं तो मुसलमान महाबुत्परस्त हुए। क्योंकि जैसे पुराणी, जैनी छोटी सी मूर्त्ति को ईश्वर का घर मानने से बुत्परस्त ठहरते हैं; ये लोग क्यों नहीं? ।।१५०।।

१५१- इकट्ठा किया जावेगा सूर्य और चांद।। -मं० ७। सि० २९। सू० ७५। आ० ९।।

(समीक्षक) भला सूर्य्य चांद कभी इकट्ठे हो सकते हैं ? देखिये! यह कितनी बेसमझ की बात है । और सूर्य्य चन्द्र ही के इकट्ठे करने में क्या प्रयोजन था? अन्य सब लोकों को इकट्ठे न करने में क्या युक्ति है? ऐसी-ऐसी असम्भव बातें परमेश्वरकृत कभी हो सकती हैं? बिना अविद्वानों के अन्य किसी की भी नहीं होतीं।।१४९।।

१५२- और फिरेंगे ऊपर उनके लड़के सदा रहने वाले, जब देखेगा तू उन को, अनुमान करेगा तू उन को मोती बिखरे हुए।। और पहनाये जावेंगे कंगन चाँदी के और पिलावेगा उन को रब उन का शराब पवित्र।। -मं० ७। सि० २९। सू० ७६। आ० १९। २१।।

(समीक्षक) क्यों जी मोती के वर्ण से लड़के किस लिये वहाँ रक्खे जाते हैं? क्या जवान लोग सेवा वा स्त्री जन उनको तृप्त नहीं कर सकतीं? क्या आश्चर्य है कि जो यह महा बुरा कर्म लड़कों के साथ दुष्ट जन करते हैं उस का मूल यही कुरान का वचन हो ! और बहिश्त में स्वामी सेवकभाव होने से स्वामी को आनन्द और सेवक को परिश्रम होने से दुःख तथा पक्षपात क्यों है? और जब खुदा ही उनको मद्य पिलावेगा तो वह भी उन का सेवकवत् ठहरेगा, फिर खुदा की बड़ाई क्योंकर रह सकेगी? और वहाँ बहिश्त में स्त्री पुरुष का समागम और गर्भस्थिति और लड़केबाले भी होते हैं वा नहीं? यदि नहीं होते तो उन का विषयसेवन करना व्यर्थ हुआ और जो होते हैं तो वे जीव कहां से आये? और विना खुदा की सेवा के बहिश्त में क्यों जन्मे? यदि जन्मे तो उन को बिना ईमान लाने और खुदा की भक्ति करने से बहिश्त मुफ्त मिल गया। किन्हीं बिचारों को ईमान लाने और किन्हीं को विना धर्म के सुख मिल जाय इस से दूसरा बड़ा अन्याय कौन सा होगा? ।।१५२।।

 

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If God has created creatures then they can never remain immortal? Then, how will you be able to live forever in the outskirts? The object that is produced must be destroyed. How to make the sky soar above? Because it is formless and different. Even if you name the other thing as Akash, it is useless to name it Akash. If you have built up the skies above, the moon can never remain in the midst of them all. If one is kept in the middle, then one top and one bottom material should be illuminated from the other to remain dark.

 

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